Saturday, July 18, 2009

पाठकों को धोखा दे रहा है “हिंदुस्तान”

"हिंदुस्तान" के कुछ फैसले चौंकाने वाले होते हैं। उन्हें "सामान्य समझ" रखने वाले पाठक नहीं समझ सकेंगे। जैसे मैं नहीं समझ पा रहा हूं। इसके लिए शायद कुछ "ज़्यादा ज्ञान" की जरूरत हो जो मुझमें नहीं है। लेकिन एक पाठक होने के नाते मुझे ये पूरा हक़ है कि अपनी नादानी की वजह से ही जो मेरे मन में सवाल उठ रहे हैं उन्हें सबके सामने जाहिर करूं। बीते दो दिन में हिंदुस्तान ने दो बड़े फ़ैसले लिये। बाकी तमाम हिंदी अख़बारों से अलग फ़ैसले लिए। किस मंशा से... किन वजहों से... सही-सही तो वहां के संपादक ही बता सकेंगे। हम और आप बस एक विश्लेषण कर सकते हैं।

शुरुआत करेंगे हिंदुस्तान के दूसरे फ़ैसले से। यानी आज के फ़ैसले से। आज हिंदुस्तान में फ्रंट पेज से मेट्रो पर सीएजी की रिपोर्ट...... ((READ MORE))