Wednesday, July 29, 2009

संसद में भी बजी टीआरपी की घंटी, मगर क्यों?

राज्य सभा में टेलीविजन के गिरते स्तर पर बहस। बहस में बहुत से सांसदों ने हिस्सा लिया। लेकिन तीन सांसद टीआरपी के विरोध में बहुत ज़्यादा मुखर थे। वो तीनों सांसद हैं - बीजेपी के रविशंकर प्रसाद, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और सीपीएम की वृंदा करात। उन्होंने मीडिया की गिरती साख के लिए टैम और उसकी तरफ़ से हर हफ़्ते जारी होने वाले टीआरपी चार्ट को ज़िम्मेदार ठहराया। पूरी बहस और इन सभी की दलीलों को पढ़ने के बाद कुछ और सवाल भी उठते हैं। 1) क्या मीडिया संस्थानों को उनके अपराध के लिए क्लीन चिट देते हुए सिर्फ टैम को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है? 2) क्या बाज़ारवाद के दौर में बाज़ार के मानकों की अनदेखी की जा सकती है? 3) अगर टैम और टीआरपी खलनायक हैं तो फिर उनका विकल्प क्या होगा? किस चैनल को कितने दर्शक देखते हैं इसका पैमाना क्या होगा? 4) क्या उन सांसदों का मीडिया से जुड़े सवालों को उठाना सही है जिनके घर-परिवार के लोग इस कारोबार से जुड़े हों।
ये सब जानते हैं कि बीएजी फिल्म को राजीव शुक्ला की पत्नी .... READ MORE