Monday, July 27, 2009

...तो भाड़ में जाए ऐसी संस्कृति

अगर आधे घंटे का एक टेलीविज़न शो सदियों पुरानी संस्कृति को उखाड़ फेंक रहा हो, तो भाड़ में जाए ऐसी संस्कृति। ऐसी कमज़ोर और बेबुनियाद संस्कृति, जो हज़ारों साल पुरानी होने का दम भरती हो और दुनिया की सबसे मज़बूत तहज़ीब, सबसे सम्मानित समझी जाती हो।

सच का सामना सिर्फ़ भारत ही नहीं कर रहा, यहां जर्मनी में भी हो रहा है. इंडियन लोगों में चर्चा हो रही है और बहस भी। लेकिन ताज्जुब इस बात पर कि जब सात समंदर पार समोसा और बिरयानी को नहीं भुला पाए, जब अरहर की दाल के बिना दिन का खाना पूरा नहीं होता, तो ख़ुद अपने देश में एक बनावटी और नक़ल किया हुआ शो कैसे तहज़ीब पर ख़तरा बन सकता है। ..... READ MORE