Thursday, August 6, 2009

मीडिया में दफ़न हैं सुलगते मणिपुर की ख़बरें

क्या मणिपुर भारत का हिस्सा नहीं है? अगर है तो फिर मीडिया में उसके साथ इतना सौतेला व्यवहार क्यों? बीते दो हफ्तों से मणिपुर सुलग रहा है। सोमवार और मंगलवार को वहां पर व्यापक बंद रहा। लेकिन मीडिया में ख़बरों के नाम पर सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसा लगता है कि मणिपुर किसी और मुल्क का हिस्सा है और वहां हो रही घटनाओं से इस देश का और इसके लोगों को कोई वास्ता नहीं।

23 जुलाई को मणिपुर पुलिस कमांडो के छह जवानों ने मिल कर संजीत चोंग्खम नाम के एक युवक की हत्या कर दी। उस युवक को इंफाल में भरे बाज़ार गोली मारी गई। पुलिस के मुताबिक संजीत चोंग्खम एक उग्रवादी था। उसे जब पुलिस ने घेरा तो उसने रिवॉल्वर से गोली दागी। जवाबी कार्रवाई में मारा गया। लेकिन बाज़ार में मौजूद लोग पुलिस का सच और झूठ जानते थे। उन्होंने देखा कैसे संजीत को जवान लेकर वहां पहुंचे और फिर कैसे एक दुकान के भीतर उसे गोली मारी गई। और कैसे उसके शव को टांग कर बाहर लाया गया।

लोगों ने पुलिस का ये ख़ौफ़नाक चेहरा आंख के सामने देखा था। एक कान से दूसरे कान बात इतनी फैली की हंगामा खड़ा हो गया। कार्रवाई की मांग ... ((READ MORE))