Monday, August 10, 2009

कोई अख़बार जवाब भी नहीं देता, बेशर्मी की हद है!

सियासतदानों और नौकरशाहों की बेशर्मी तो हमने और आपने बहुत देखी है। संसद से सड़क तक उनकी बेशर्मी के उदाहरण मिल जाएंगे। लेकिन अब मीडिया भी बेशर्मों की इस जमात में शामिल हो गया है। जनसत्ता में इस बार वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी ने मीडिया की इसी बेशर्मी से पर्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि चुनाव के दौरान ख़बरों का सौदा करने वाले अख़बार अपने अपराधों पर कोई बहस भी नहीं करना चाहते। प्रभाष जी ने अख़बारों की आलोचना के साथ साइबर स्पेस पर सक्रिय पत्रकारों की तारीफ़ भी की है। उन सभी से प्रभाष जी की अपील है कि वो इस बहस को ज़िंदा रखें। बहस जारी रही तो नए रास्ते भी खुलेंगे। जनसत्ता से साभार हम प्रभाष जोशी जी का ये लेख आपके बीच रख रहे हैं। आप भी पढ़िये और अपनी प्रतिक्रिया दीजिए। .... ((read more))