Tuesday, December 22, 2009

अपराधी ताक़तवर हो तो मीडिया करता है सलाम

अपराधियों को लेकर भी मीडिया का चरित्र दोहरा है। अगर किसी साधारण शख़्स के ख़िलाफ़ अपराध साबित नहीं हुआ हो तो भी पत्रकार उसके लिए सख़्त भाषा का इस्तेमाल करते हैं। एक तरीके से अपराधी घोषित कर देते हैं। लेकिन अगर वही शख़्स ताक़तवर हो तो पत्रकारों और मीडिया संस्थानों की भाषा बदल जाती है। चाहे उस शख़्स का जुर्म साबित ही क्यों न हो गया हो। चाहे अदालत ने उसे गुनहगार ठहरा कर सज़ा ही क्यों न सुना दी हो।

ताज़ा मामला हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर से जुड़ा है। राठौर ने 19 साल पहले एक 14 साल की नाबालिग लड़की रुचिका गेहरोत्रा से छेड़खानी की थी। और मामला दर्ज होने के बाद इस वहशी दरिंदे ने रुचिका और उसके घरवालों को मानसिक यंत्रणा दी। अपने पुलिसिया ताक़त के जोर पर उनकी ज़िंदगी नर्क बना दी। आखिर में रुचिका ने 17 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली और 2002 में उसके भाई ने भी आत्महत्या कर ली। राठौर के कुकर्मों की वजह से एक परिवार बर्बाद हो गया जबकि राठौर की तरक्की होती चली गई। सत्ता और नेताओं से गठजोड़ का फायदा उठा कर वह हरियाणा का डीजीपी बना और 2002 में .... read more