Wednesday, February 3, 2010

राजेंद्र यादव, अरुंधती, उदित राज... बुलंद होती इंसाफ़ की आवाज़

महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय की तानाशाही के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद होने लगी है। प्रोफेसर अनिल चमड़िया को क्रूर तरीके से हटाए जाने के ख़िलाफ़ हस्ताक्षर अभियान तेज़ हो गया है। अब तक इस पर बड़ी संख्या में पत्रकारों, साहित्यकारों और प्रबुद्ध लोगों ने अपने हस्ताक्षर किए हैं। इसी कड़ी में जानी-मानी लेखिका, कार्यकर्ता और मानवाधिकारों की पक्षधर अरुंधती रॉय ने भी अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं। मशहूर साहित्यकार और हंस के संपादक राजेंद्र यादव और फिल्मकार संजय काक ने दस्तख़त किए हैं। दलितों के हक़ के लिए लड़ने वाले उदित राज ने भी अनिल चमड़िया की बर्खास्तगी का विरोध किया है। ख़बरें यह भी आ रही हैं कि बजट सत्र के दौरान संसद में यह मुद्दा उठाने की तैयारी है। न केवल प्रोफेसर अनिल चमड़िया की बर्खास्तगी का मसला बल्कि महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में दलित छात्रों के उत्पीड़न का मसला भी उठाने की तैयारी है। अगर ऐसा हुआ तो यह एक बड़ी कोशिश होगी।

इस हस्ताक्षर अभियान के बारे में आपको कुछ बातें और बतानी हैं। बीते तीन दिन में बहुत पत्रकारों और साहित्यकारों से इस पर दस्तख़त करने की अपील की गई। कुछ लोगों ने हस्ताक्षर किए और कुछ ने यह कहते हुए मना कर दिया कि - वो जानते हैं कि अनिल चमड़िया के साथ ग़लत हुआ है लेकिन वो दस्तख़त नहीं करेंगे। कुछ ने कहा कि वो ऐसे ... ((read more))