Tuesday, October 6, 2009
"दैनिक भास्कर पर दया कीजिए"
दैनिक भास्कर की ग़लती पर पाठकों ने बहुत तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीते 24 घंटों में 500 से अधिक लोग इसे पढ़ चुके हैं। पढ़ने वालों की संख्या की तुलना में प्रतिक्रियाएं कम आयी हैं लेकिन जो भी आयी हैं उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह सही है कि पोर्न पढ़ने वालों की संख्या बहुत ज़्यादा होती है। यह भी सही है कि अश्लील साहित्य के पाठक भी बहुत हैं। लेकिन समाचार पत्रों को ही अश्लील बना दिया जाए और आधी आबादी को उपभोग की वस्तु यह कहीं से भी सही नहीं है। इसका पुरजोर विरोध होना चाहिए। बहुत से पाठकों ने हमें फोन करके यह भी कहा कि अगर कोई गाली तो क्या आप भी उसे गाली दीजिएगा। उन्हें एतराज हमारे शीर्षक पर था। “लौंडागीरी” शब्द के इस्तेमाल पर था। उनकी बात सही है। कोई बड़ा अख़बार, कोई बड़ा मीडिया संस्थान लाख नंगई करे हमें शालीन बने रहना चाहिए। आगे से हम कोशिश करेंगे कि बहुत गुस्सा आने पर भी अपनी भाषा संतुलित रखें। बहरहाल, दैनिक भास्कर की ग़लती पर आई टिप्पणियों में से चंद पर आप भी नज़र डालें। .... read more