Thursday, December 31, 2009
क्या मीडिया का एक धड़ा एन डी तिवारी का चेला है?
आंध्र प्रदेश में पोल सिर्फ नारायण दत्त तिवारी की ही नहीं खुली बल्कि मीडिया ने भी अपना बहुत कुछ गंवा दिया है। इस मामले में कुछ मीडिया संस्थानों ने जिस तरह की रिपोर्टिंग की है उससे एक बार फिर साफ हुआ है कि अगर किसी के पास ताक़त है और जातिगत औरा है तो बड़े से बड़े अपराध और घिनौने मामले में भी उसके पक्ष में माहौल तैयार किया जा सकता है। यही नहीं ऐसा माहौल भी बनाया जा सकता है कि जिससे उस ताक़तवर शख़्स के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले शख़्स या संस्था को उस दुस्साहस की क़ीमत चुकानी पड़े।
Friday, December 25, 2009
वॉयस ऑफ इंडिया में अशोक उपाध्याय का निधन
वॉयस ऑफ इंडिया के सीनियर प्रोड्यूसर अशोक उपाध्याय नहीं रहे। आज सुबह दफ़्तर में उनकी मृत्यु हो गई। अशोक उपाध्याय करीब तीन-चार हफ्तों से लगातार नाइट शिफ्ट में काम कर रहे थे। आज सुबह उनकी तबीयत कुछ ख़राब हुई। बेचैनी मसहूस हुई। जिसके बाद वो खुली हवा में सांस लेने के लिए दफ़्तर से बाहर निकल आए और कुछ देर के लिए कार में बैठ गए। थोड़ी देर एक जूनियर लड़की उन्हें ढूंढते हुए पहुंची। उसने देखा कि वो कार में लेटे हुए हैं। उसके बाद जब मॉर्निंग शिफ्ट की टीम पहुंची तो हैंडओवर के लिए अशोक उपाध्याय को ढूंढा जाने लगा। तब लड़की ने बताया कि वो कार में लेटे हुए हैं और कुछ बोल नहीं रहे। फिर एक साथी वहां पहुंचा और उसने अशोक उपाध्याय को झकझोरा। लेकिन उनकी नींद नहीं टूटी।... ((read more))
Thursday, December 24, 2009
इस 'सिस्टम' में बार बार मरेगी रुचिका
♦ प्रभात शुंगलू
टीवी चैनलों पर चंडीगढ़ की विशेष अदालत के बाहर एसपीएस राठौर को हंसते, खिलखिलाते देखा तो लगा सरकार ने हरियाणा के पूर्व डीजीपी को किसी बड़े सम्मान से नवाज़ा हो। ये चेहरा उस शख़्स का चेहरा नहीं था जिसको अदालत ने 14 साल की लड़की रुचिका गिरहोत्रा के साथ छेड़खानी करने के आरोप में दोषी पाया हो। अदालत के फैसले में राठौर को अपनी जीत नज़र आई। जिस अदालत ने दोषी पाते हुए 6 महीने की क़ैद की सज़ा सुनायी उसी अदालत से तुरत फुरत ज़मानत भी मिल गयी। पूर्व डीजीपी सीना फूला कर अपने घर के लिए निकला। मानो वो मीडिया और देश को चिढ़ा रहा हो कि देखो कानून मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। .... ((Read More))
पी साईनाथ के जरिए महाराष्ट्र का सच जान कर प्रभाष जोशी को याद करें
मराठी, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू – राज्य के तमाम अख़बारों में चुनाव के दौरान आप ऐसी कई आश्चर्यजनक चीजें देखेंगे जिन्हें छापने से इनकार नहीं किया गया था। एक ही सामाग्री किसी अख़बार में "ख़बर" के तौर पर छपी तो किसी अख़बार में "विज्ञापन" के तौर पर। "लोगों को गुमराह करना शर्मनाक है" – यह शीर्षक है नागपुर (दक्षिण-पश्चिम) से निर्दयील उम्मीदवार उमाकांत (बबलू) देवताले की तरफ़ से खरीदी गई ख़बर की। यह ख़बर लोकमत (6 अक्टूबर) में प्रकाशित हुई थी। उसके आखिरी में सूक्ष्म तरीके से एडीवीटी (एडवर्टिजमेंट यानी विज्ञापन) लिखा हुआ था। द हितवाद (नागपुर से छपने वाले अंग्रेजी अख़बार) में उसी दिन यह "ख़बर" छपी और उसमें कहीं भी विज्ञापन दर्ज नहीं था। देवताले ने एक बात सही कही थी – "लोगों को गुमराह करना शर्मनाक है।" ... read more
Wednesday, December 23, 2009
राठौर आदरणीय क्यों? मीडिया के भाषाई संस्कार पर सवाल
- दिलीप मंडल
रुचिका के साथ छेड़खानी और उसकी आत्महत्या के मामले में भारतीय न्यायव्यवस्था ने कुछ नया या अजूबा नहीं किया है। न्यायप्रक्रिया में धन और रुतबे के महत्व के बारे में ये केस कोई नई बात नहीं कहता। देश के राष्ट्रपति रहे के आर नारायणन ने जब ये कहा था कि आजादी के बाद जिन लोगों को फांसी की सजा हुई है उनमें से कोई भी अमीर नहीं था, तो वो इसी सच को उद्धाटित कर रहे थे। हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एस.पी.एस. राठौर के साथ जो होने वाला है उसका अंदाजा हम इस मुकदमे की सुस्त रफ्तार से लगा सकते हैं। 19 साल में ये केस स्थानीय न्यायालय की सीमा को ही पार कर पाया है। इस रफ्तार से केस चला तो राठौर को जीवन का एक भी दिन शायद ही जेल में काटना होगा। ... Read More
मीडिया की मुहिम के बाद अब राठौर की खाल नहीं बचेगी
- अजीत अंजुम
इस मामले (रुचिका के साथ हुई छेड़खानी और उसके बात पुलिसिया जुल्मों के जरिए उसे आत्महत्या के मुंह में ढकेलने और इस संगीन मामले में अदालत के बेतुके फैसले) को मीडिया ने पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता के साथ उठाया है। आज तीसरे दिन भी अखबारों और न्यूज चैनलों पर रूचिका से साथ हुई नाइंसाफी का मामला छाया है। कोर्ट के फैसले के बाद हंसते हुए पूर्व डीजीपी राठौर की बेशर्मी और कानून को अपने ठेंगे पर रखने की उनकी हिमाकत को मीडिया ने खूब उछाला है। कई न्यूज चैनलों ने राठौर को मिली मामूली सज़ा के ख़िलाफ़ लगातार मुहिम चला रखी है। अब क्या चाहते हैं ? मीडिया इससे ज़्यादा क्या कर सकता है ? सच तो ये है कि आज से करीब 19 साल पहले जब ये मामला हुआ था, तब टीवी तो था नहीं, अखबार भी इतने नहीं ... Read More
कुंबले-धोनी मॉडल से सबक लें बीजेपी और कांग्रेस
देश के महान गेंदबाज अनिल कुंबले और सियासत के माहिर खिलाड़ी लाल कृष्ण आडवाणी का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं, लेकिन अपने-अपने क्षेत्र में ये दोनों लीडरशिप को लेकर दिलचस्प केस स्टडी बन सकते हैं।
भारत जब टेस्ट क्रिकेट में दुनिया की नम्बर वन टीम बना, तो पूर्व कप्तान कुंबले ने अपने कॉलम एक अहम बात कही..."20 महीने पहले गैरी कर्स्टन के कोच बनने के बाद पूरी टीम ने नम्बर वन बनने का सपना देखा था। मैं कप्तान के तौर पर इस हसरत का हिस्सा रहा। लेकिन नंबर वन बनने में हर किसी का योगदान रहा। इसकी एक बड़ी वजह रही कि हर किसी के मन में ये साफ था कि हमें पहुंचना कहां है। ये पहले से ही तय था कि मेरा उत्तराधिकारी कौन होगा जिससे कि ये मिशन इसी मजबूती के साथ आगे बढ़ सके” अनिल कुंबले टेस्ट कप्तानी में अपने उत्तराधिकारी महेंद्र सिंह धोनी की ओर इशारा कर रहे थे...अगर कुंबले-धोनी दौर इस बात की मिसाल है कि कैसे अगली पीढ़ी को बेटन थमाया जाना चाहिए तो अटल-आडवाणी दौर इस बात की गवाह रही कि उत्तराधिकार तय करने में लापरवाही और दिशाहीनता कैसे एक पार्टी, एक विचारधारा और एक सोच को हाशिए पर ले जाती है।... ((Read More))
भारत जब टेस्ट क्रिकेट में दुनिया की नम्बर वन टीम बना, तो पूर्व कप्तान कुंबले ने अपने कॉलम एक अहम बात कही..."20 महीने पहले गैरी कर्स्टन के कोच बनने के बाद पूरी टीम ने नम्बर वन बनने का सपना देखा था। मैं कप्तान के तौर पर इस हसरत का हिस्सा रहा। लेकिन नंबर वन बनने में हर किसी का योगदान रहा। इसकी एक बड़ी वजह रही कि हर किसी के मन में ये साफ था कि हमें पहुंचना कहां है। ये पहले से ही तय था कि मेरा उत्तराधिकारी कौन होगा जिससे कि ये मिशन इसी मजबूती के साथ आगे बढ़ सके” अनिल कुंबले टेस्ट कप्तानी में अपने उत्तराधिकारी महेंद्र सिंह धोनी की ओर इशारा कर रहे थे...अगर कुंबले-धोनी दौर इस बात की मिसाल है कि कैसे अगली पीढ़ी को बेटन थमाया जाना चाहिए तो अटल-आडवाणी दौर इस बात की गवाह रही कि उत्तराधिकार तय करने में लापरवाही और दिशाहीनता कैसे एक पार्टी, एक विचारधारा और एक सोच को हाशिए पर ले जाती है।... ((Read More))
डरे हुए मोदी जनता की हर सांस पर पहरा बिठाना चाहते हैं
गुजरात विधानसभा में नगरपालिका चुनावों में कम्पल्सरी (अनिवार्य) वोटिंग का बिल ध्वनिमत से पास हुआ। वोटिंग होती भी तो सदन में ये बिल पास कराना सरकार के लिए मुश्किल नहीं था। लेकिन सवाल ये है कि आखिर कम्पल्सरी वोटिंग से क्या हासिल करना चाहती है मोदी सरकार? क्या दूसरी राज्य सरकारें या केन्द्र भी इस तरह का कानून लाएगा इस पर बहस छिड़ गयी है।
ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और स्विट्जरलैंट जैसे देशों में अनिवार्य वोटिंग का कानून है। ऑस्ट्रेलिया में ये लगभग सौ साल पुराना कानून है जिसकी कहानी भी दिलचस्प है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया में ये कानून 1914 में बना जब लिबरल पार्टी की सरकार थी। और ये कानून इसलिए बना क्योंकि उस साल क्वीन्सलैंड राज्य में चुनाव का वोट प्रतिशत 75 फीसदी था। और अगले साल यानि 1915 में देश में चुनाव होने वाले थे। लिबरल पार्टी को ये डर था कहीं लेबर पार्टी बाजी न मार ले जाए क्योंकि लेबर पार्टी के वोटर ज्यादा संगठित थे। इस कारण लिबरल पार्टी ने ये कानून बनाया मगर अगले साल के चुनाव में वो लेबर पार्टी से हार ही गयी। कहीं ऐसा तो नहीं कि लोक सभा में हार झेलने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अब बीजेपी के शहरी वोटर के दरकने का ख़तरा नज़र आ.... ((Read More))
ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और स्विट्जरलैंट जैसे देशों में अनिवार्य वोटिंग का कानून है। ऑस्ट्रेलिया में ये लगभग सौ साल पुराना कानून है जिसकी कहानी भी दिलचस्प है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया में ये कानून 1914 में बना जब लिबरल पार्टी की सरकार थी। और ये कानून इसलिए बना क्योंकि उस साल क्वीन्सलैंड राज्य में चुनाव का वोट प्रतिशत 75 फीसदी था। और अगले साल यानि 1915 में देश में चुनाव होने वाले थे। लिबरल पार्टी को ये डर था कहीं लेबर पार्टी बाजी न मार ले जाए क्योंकि लेबर पार्टी के वोटर ज्यादा संगठित थे। इस कारण लिबरल पार्टी ने ये कानून बनाया मगर अगले साल के चुनाव में वो लेबर पार्टी से हार ही गयी। कहीं ऐसा तो नहीं कि लोक सभा में हार झेलने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अब बीजेपी के शहरी वोटर के दरकने का ख़तरा नज़र आ.... ((Read More))
Tuesday, December 22, 2009
अपराधी ताक़तवर हो तो मीडिया करता है सलाम
अपराधियों को लेकर भी मीडिया का चरित्र दोहरा है। अगर किसी साधारण शख़्स के ख़िलाफ़ अपराध साबित नहीं हुआ हो तो भी पत्रकार उसके लिए सख़्त भाषा का इस्तेमाल करते हैं। एक तरीके से अपराधी घोषित कर देते हैं। लेकिन अगर वही शख़्स ताक़तवर हो तो पत्रकारों और मीडिया संस्थानों की भाषा बदल जाती है। चाहे उस शख़्स का जुर्म साबित ही क्यों न हो गया हो। चाहे अदालत ने उसे गुनहगार ठहरा कर सज़ा ही क्यों न सुना दी हो।
ताज़ा मामला हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर से जुड़ा है। राठौर ने 19 साल पहले एक 14 साल की नाबालिग लड़की रुचिका गेहरोत्रा से छेड़खानी की थी। और मामला दर्ज होने के बाद इस वहशी दरिंदे ने रुचिका और उसके घरवालों को मानसिक यंत्रणा दी। अपने पुलिसिया ताक़त के जोर पर उनकी ज़िंदगी नर्क बना दी। आखिर में रुचिका ने 17 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली और 2002 में उसके भाई ने भी आत्महत्या कर ली। राठौर के कुकर्मों की वजह से एक परिवार बर्बाद हो गया जबकि राठौर की तरक्की होती चली गई। सत्ता और नेताओं से गठजोड़ का फायदा उठा कर वह हरियाणा का डीजीपी बना और 2002 में .... read more
ताज़ा मामला हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर से जुड़ा है। राठौर ने 19 साल पहले एक 14 साल की नाबालिग लड़की रुचिका गेहरोत्रा से छेड़खानी की थी। और मामला दर्ज होने के बाद इस वहशी दरिंदे ने रुचिका और उसके घरवालों को मानसिक यंत्रणा दी। अपने पुलिसिया ताक़त के जोर पर उनकी ज़िंदगी नर्क बना दी। आखिर में रुचिका ने 17 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली और 2002 में उसके भाई ने भी आत्महत्या कर ली। राठौर के कुकर्मों की वजह से एक परिवार बर्बाद हो गया जबकि राठौर की तरक्की होती चली गई। सत्ता और नेताओं से गठजोड़ का फायदा उठा कर वह हरियाणा का डीजीपी बना और 2002 में .... read more
हिंदुस्तान टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट के बीच करार
हिंदुस्तान टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट के बीच कंटेंट के लिए करार हुआ है। अगले साल की पहली तारीख से लागू होने वाले इस करार का औपचारिक ऐलान कर दिया गया है। इस समझौते के मुताबिक हिंदुस्तान टाइम्स अब वाशिंगटन पोस्ट और न्यूज़वीक की ख़बरों और विश्लेषण को एक्सक्लूसिव तौर पर भारतीय पाठकों को मुहैया करा सकेगा। ख़बरों और लेखों के अलावा हिंदुस्तान टाइम्स में अब न्यूज़वीक के संपादक फरीद जकारिया, कॉलमिस्ट रॉबर्ट सेम्युल्शन और इंटरनेशनल हेराल्ड ट्रिब्यून के पूर्व संपादक डेविड इग्नेशियस जैसे चर्चित लेखकों और विचारकों के कॉलम भी छापे जाएंगे। इसके साथ ही हिंदुस्तान टाइम्स को बीजिंग, इस्लामाबाद, काबुल, बगदाद, लंदन, मास्को, नैरोबी, तेहरान, टोक्यो, मैक्सिको सिटी और पेरिस समेत दुनिया के कई देशों में मौजूद वाशिंगटन पोस्ट के संवाददाताओं की ख़बरों को एक्सक्लूसिव तौर पर छापने का अधिकार मिल गया है। ... read more
Monday, December 21, 2009
26/11 पर राम प्रधान कमेटी की रिपोर्ट पेश, कठघरे में गफूर
मुंबई में 26/11 के हमले के दौरान पुलिस की भूमिका की जांच के लिए बनी राम प्रधान कमेटी की रिपोर्ट आज महाराष्ट्र विधानसभा में रख दी गई। इस रिपोर्ट में कई खामियों की तरफ़ ध्यान खींचा गया है। तब के मुंबई पुलिस कमिश्नर हसन गफूर की जमकर खिंचाई की गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गफूर पूरे ऑपरेशन के दौरान अपनी टीम का सही ढंग से नेतृत्व नहीं कर सके। वो ऑपरेशन के दौरान ट्राईडेंट होटल के बाहर जमे रहे और कंट्रोल रूम में नहीं गए, जो ग़लत था। यहां तक कि उन्होंने हमले के बाद सभी संबंधित लोगों को इसकी ठीक से जानकारी भी नहीं दी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में मंत्रालय, सचिवालय और पुलिस के बीच तालमेल की कई कमियों को भी उजागर किया है। हालांकि इसी रिपोर्ट में ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया की ... ((read more))
इलाहाबाद में मुन्नी मोबाइल का लोकार्पण
पत्रकार प्रदीप सौरभ के पहले उपन्यास मुन्नी मोबाइल का आज इलाहाबाद में लोकार्पण हुआ। मशहूर आलोचक और विद्वान प्रोफेसर राजेंद्र कुमार ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के निराला सभागार में लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता की। प्रोफेसर राजेंद्र कुमार बहुवचन पत्रिका के संपादक भी हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भूमंडलीकरण समाज को जोड़ता नहीं बल्कि बांटता है। एक नहीं होने देता। और साम्प्रदायिकता भी यही काम करती है। इन दोनों संदर्भों में प्रदीप सौरभ का उपन्यास मुन्नी मोबाइल काफी अहम है। यह उपन्यास साम्प्रदायिकता और भूमंडलीकरण – दोनों के ख़तरों से लोगों को आगाह करता था। प्रोफेसर राजेंद्र कुमार ने यह भी कहा कि मीडिया में रहते हुए यथार्थ को सामने लाना किसी चुनौती से कम नहीं। वह भी तब जब कहा जा रहा हो कि मीडिया बज़ार की ... (( read more))
Sunday, December 20, 2009
हिंदुस्तान-अमर उजाला में समझौता नहीं, एफ़आईआर दर्ज
बरेली में हिंदुस्तान और अमर उजाला के बीच कोई सुलह-सफाई नहीं हो सकी। जिसके बाद दोनों पक्षों ने इज्जत नगर थाने में एक दूसरे के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करा दी है। सूत्रों के मुताबिक हिंदुस्तान ने अमर उजाला के सात लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया है जबकि अमर उजाला की तरफ से भी छह लोग नामजद कराए गए हैं। हिंदुस्तान की शिकायत पर आईपीसी की धारा 397 और 395 के तहत घायल करके लूटपाट करने का मामला दर्ज हुआ है। जबकि अमर उजाला की तरफ से लूटपाट की शिकायत की गई है। दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे के प्रसार मैनेजर को आरोपी बनाया है। ... read more
Saturday, December 19, 2009
हिंदुस्तान और अमर उजाला की सर्कुलेशन टीमों में हिंसक झड़प
उत्तर प्रदेश के बरेली में हिंदुस्तान और अमर उजाला की सर्कुलेशन टीमों के बीच हिंसक झड़प हुई है। इस मारपीट में छह लोग घायल हैं। जिनमें से पांच को ज़्यादा चोटें आई हैं। उन्हें बरेली के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बरेली में दो महीने पहले ही, नौ अक्टूबर को हिंदुस्तान ने अपना संस्करण लॉन्च किया था। हिंदुस्तान ने रुहेलखंड इलाके के पांच जिलों – बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखिमपुर और बदायूं, को ध्यान में रख कर यह संस्करण शुरू किया। उससे पहले अख़बार ने पाठकों को बुकिंग के लिए प्रेरित करने के लिए एक स्कीम शुरू की। जिन लोगों ने बुकिंग कराई उन्हें एक कूपन दिया गया और ये वादा किया गया कि उन्हें एक साल तक हिंदुस्तान पचास फीसदी कम कीमत पर मिलेगा।... read more
Thursday, December 10, 2009
अंबानी बंधुओं की लड़ाई में नई दुनिया के हिस्से मलाई!
नई दुनिया ने एक बार फिर अनिल अंबानी की कंपनियों के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। 11 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक एडीएजी (अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप) की धांधली से पर्दा उठाने के बाद नई दुनिया ने अब फिर से अपनी स्टोरी को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। छह दिसंबर से अमूमन हर रोज़ अख़बार में एडीएजी पर कार्रवाई के लिए बढ़ते दबाव की स्टोरी छापी गई है। स्टोरी में कुछ भी ऐसा नहीं है जिस पर आपत्ति जताई जा सके। यह एक सहारनीय कदम है बशर्ते मंशा सही हो। जैसा की नई दुनिया के संपादक ने एक बार कहा था कि अगर कोई "ईमानदार" पत्रकार और अख़बार कॉरपोरेट घरानों की धांधली पर कोई मुहिम चलाता है तो भी लोगों को दिक्कत होने लगती है। हम उन लोगों में शामिल नहीं होना चाहते जिन्हें दिक्कत होती है। लेकिन यहां पर कुछ बातें हैं जो साफ़ कर देनी चाहिए। पहली बात नई दुनिया की मंशा से जुड़ी ...... ((READ MORE))
Tuesday, December 8, 2009
एनडीटीवी ने बेच दिया इमैजिन
एनडीटीवी ने अब यह सार्वजनिक कर दिया है कि उसने एनडीटीवी इमैजिन को टर्नर एशिया पेसिफिक वेंचर्स को बेच दिया है। कंपनी ने अपने 76 फीसदी शेयरों का सौदा 6.70 करोड़ डॉलर यानी करीब 313 करोड़ रुपये में किया है। समझौते के मुताबिक कंपनी को चैनल के 5 करोड़ डॉलर के ताज़ा शेयर जारी करने ... ((read more))
Monday, December 7, 2009
45 देश 56 अख़बार और एक संपादकीय
अख़बारों के इतिहास में ऐसा शायद ही कभी हुआ हो, जब किसी मुद्दे पर दुनिया के 45 देशों के 56 अख़बारों ने एक जैसा संपादकीय छापा हो और वो भी पहले पन्ने पर। पर्यावरण पर मंडरा रहे ख़तरे की तरफ़ ध्यान खींचने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसमें बताया गया है कि अब लड़ने का वक़्त ज़रा भी नहीं है। सबको मिल कर और तात्कालिक लाभ-नुकसान को थोड़े समय के लिए भुला कर ठोस कदम उठाना होगा। राष्ट्र और राज्य की सीमाओं से ऊपर उठ कर इस मसले पर गंभीरता से सोचना होगा।
इस संपादकीय में कोपेनहेगन सम्मेलन में हिस्सा ले रहे 192 देशों के प्रतिनिधियों से बिना झिझक, बिना विवाद ग्रीन हाउस गैसों को कटौती के लिए फैसला लेने की अपील की गई है। कहा गया है कि पूरब-पश्चिम और अमीरी-गरीबी जैसे मुद्दों की आड़ में लंबे समय तक पर्यावरण की अनदेखी करना सही नहीं है। अगर इस दानव से निपटने के लिए एकजुट होकर त्याग की भावना के साथ रणनीति नहीं बनाई गई तो धरती का पारा चढ़ेगा। धरती का पारा हल्का सा भी चढ़ा तो ग्लेशियरों का पिघलना और तेज़ होगा। समुद्र में जल स्तर ऊपर... ((read more))
Wednesday, December 2, 2009
शेयर बाज़ार में दैनिक भास्कर की छलांग
दैनिक भास्कर के प्रकाशक डीबी कॉर्प अब शेयर बाज़ार में दाखिल हो रहे हैं। इसी महीने कंपनी इनिसियल पब्लिक ऑफर लॉन्च करेगी। ख़बरों के मुताबिक दिसंबर के दूसरे सप्ताह में आईपीओ लाने की तैयारी है। बाज़ार में माहौल बनाने और निवेशकों की नज़र में आने के लिए दैनिक भास्कर पिंक अख़बारों में ताबड़तोड़ विज्ञापन छपवा रहा है। बुधवार को इकॉनोमिक टाइम्स में आधे पन्ने का विज्ञापन छपवाया गया था।
आईपीओ की कीमत क्या होगी अभी यह तय नहीं हुआ है। लेकिन ख़बरों के मुताबिक आईपीओ के ज़रिए डीबी कॉर्प की योजना बाज़ार से 450 करोड़ रुपये ... ((read more))
अमर उजाला में कई नई नियुक्तियां
अमर उजाला मैनेजमेंट अपने मार्केटिंग विभाग को मजबूत करने में जुटा है। इसी के तहत एस एन झा को जीएम (सरकारी बिज़नेस और मिनी मेट्रोज) के तौर पर नियुक्त किया गया है। वो दिल्ली में बैठेंगे और आलोक माथुर, वाइस प्रेसिडेंट (मीडिया सॉल्युशन्स) को रिपोर्ट करेंगे। माथुर भी कुछ समय पहले ही अमर उजाला में आए हैं और वो प्रेसिडेंट (मार्केटिंग) सुनील मुत्रेजा को रिपोर्ट करते हैं।
इनके अलावा राष्ट्रीय सहारा से यादवेश कुमार ने पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के जीएम (एसपीएमडी) के तौर पर ज्वाइन किया है। साथ ही कुछ बदलाव और किए गए हैं। एस एन झा से पहले जीएम (सरकारी बिज़नेस) का काम देख रहे ए पी सिंह को लखनऊ भेज दिया गया है। वो लखनऊ यूनिट को हेड करेंगे। जबकि लखनऊ का काम संभाल रहे वीरेंद्र पठानिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के एसपीएमडी (सर्कुलेशन) बना दिया गया है। ये सभी सुनील मुत्रेजा को रिपोर्ट करेंगे। ... ((read more))
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