अख़बारों के इतिहास में ऐसा शायद ही कभी हुआ हो, जब किसी मुद्दे पर दुनिया के 45 देशों के 56 अख़बारों ने एक जैसा संपादकीय छापा हो और वो भी पहले पन्ने पर। पर्यावरण पर मंडरा रहे ख़तरे की तरफ़ ध्यान खींचने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसमें बताया गया है कि अब लड़ने का वक़्त ज़रा भी नहीं है। सबको मिल कर और तात्कालिक लाभ-नुकसान को थोड़े समय के लिए भुला कर ठोस कदम उठाना होगा। राष्ट्र और राज्य की सीमाओं से ऊपर उठ कर इस मसले पर गंभीरता से सोचना होगा।
इस संपादकीय में कोपेनहेगन सम्मेलन में हिस्सा ले रहे 192 देशों के प्रतिनिधियों से बिना झिझक, बिना विवाद ग्रीन हाउस गैसों को कटौती के लिए फैसला लेने की अपील की गई है। कहा गया है कि पूरब-पश्चिम और अमीरी-गरीबी जैसे मुद्दों की आड़ में लंबे समय तक पर्यावरण की अनदेखी करना सही नहीं है। अगर इस दानव से निपटने के लिए एकजुट होकर त्याग की भावना के साथ रणनीति नहीं बनाई गई तो धरती का पारा चढ़ेगा। धरती का पारा हल्का सा भी चढ़ा तो ग्लेशियरों का पिघलना और तेज़ होगा। समुद्र में जल स्तर ऊपर... ((read more))