Wednesday, December 23, 2009

मीडिया की मुहिम के बाद अब राठौर की खाल नहीं बचेगी


  • अजीत अंजुम
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इस मामले (रुचिका के साथ हुई छेड़खानी और उसके बात पुलिसिया जुल्मों के जरिए उसे आत्महत्या के मुंह में ढकेलने और इस संगीन मामले में अदालत के बेतुके फैसले) को मीडिया ने पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता के साथ उठाया है। आज तीसरे दिन भी अखबारों और न्यूज चैनलों पर रूचिका से साथ हुई नाइंसाफी का मामला छाया है। कोर्ट के फैसले के बाद हंसते हुए पूर्व डीजीपी राठौर की बेशर्मी और कानून को अपने ठेंगे पर रखने की उनकी हिमाकत को मीडिया ने खूब उछाला है। कई न्यूज चैनलों ने राठौर को मिली मामूली सज़ा के ख़िलाफ़ लगातार मुहिम चला रखी है। अब क्या चाहते हैं ? मीडिया इससे ज़्यादा क्या कर सकता है ? सच तो ये है कि आज से करीब 19 साल पहले जब ये मामला हुआ था, तब टीवी तो था नहीं, अखबार भी इतने नहीं ... Read More