Sunday, August 2, 2009
ये नीतीश की उदारता नहीं चालाकी है
जिन आंखों में समाजवाद का सपना तैरता हो, उन्होंने ना जाने कितनी बार जॉर्ज फर्नांडीस पर अभिमान किया होगा। 60 और 70 के दशक के जॉर्ज को देखकर ये उम्मीद जगती थी कि हुकूमतें चाहे कितनी भी जालिम हों, उनके खिलाफ एक जॉर्ज है, जो जान की बाजी लगाकर खड़ा होने को तैयार रहता है। इमरजेंसी के बाद हाथों में हथकड़ी लगी जॉर्ज की तस्वीर ने जॉर्ज को कइयों का आदर्श और हीरो बना दिया था। जॉर्ज कम्युनिस्ट तो कभी नहीं रहे लेकिन चे गुएवारा की याद को भारतीय मानस पर उन्होंने जरूर उतार दिया था। लेकिन नब्बे का दशक आते आते उन्हीं जॉर्ज के मुंह से समाजवाद की बातें हास्यास्पद लगने लगीं। ... ((READ MORE))