Thursday, August 6, 2009
“जिम्मेदारी तो संपादक को ही लेनी पड़ती है”
बिहार में दैनिक जागरण और उसके संपादक पर उठाए गए सवाल पर बहस अब तेज़ हो रही है। बहस का मुद्दा है कि अगर किसी अख़बार से कोई ग़लती हो गई हो तो उसके लिए जिम्मेदार किसे ठहराया जाए? क्या किसी संपादक को यह हक़ है कि वह अख़बार की अच्छाइयों को कबूल करे लेकिन बुराइयों के लिए व्यवस्था को दोषी ठहरा कर पल्ला झाड़ ले? यहां बात किसी एक अख़बार या फिर किसी एक संपादक की नहीं है। बात पूरे मीडिया जगत की है। संकट विश्वास का है। जनतंत्र पर जारी इसी बहस को आगे बढ़ाने के लिए हमने बिहार के दो वरिष्ठ पत्रकारों से कुछ सवाल पूछे। उनके जवाब आपके सामने हैं। आप पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दें। .... ((READ MORE))