परम आदरणीय चंदन मित्रा जी,
आपके दुख ने मुझे विचलित कर दिया है... आपके भावुकताभरे उदगार पढ़कर मेरी आंखें भर आयी हैं। आखिर आपके साथ ऐसा क्यों हुआ? जब आप छह साल में बड़ी मेहनत से संसद का कामकाज सीखकर पक्के हो गए थे, तो आपको निकाल दिया गया। भला ये भी कोई इंसाफ है? कुछ साल और नहीं रख सकते थे? माना कि आप बीजेपी खेमे के पत्रकार हैं, लेकिन अब आप कह तो रहे हैं कि संसद के भीतर निष्पक्षता से काम किया है। ये भी बता दिया है कि आपने कैसे अपने बाल-सखा अरुण जेटली के साथ मिलकर संसद में सरकार के साथ सहयोग किया। पिछले सत्र में हुए कामकाज की तारीफें भी कर रहे हैं। इतना कहने पर भी निष्ठुर सरकार मान नहीं रही।
अपनी निष्पक्षता और 'लचीलेपन' का सबूत तो आपने मतगणना के दौरान एक न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में बैठे-बैठे ही दे दिया था। मुझे अच्छी तरह याद है कि आप कैसे बढ़चढ़ कर बीजेपी की ... (READ MORE)