अरुंधति रॉय से जनतंत्र की ख़ास बातचीत के पहले हिस्से में आपने मीडिया पर उनकी बेबाक राय पढ़ी। अब दूसरी और आखिरी किश्त … जिसमें मीडिया के साथ कुछ और बड़े मुद्दों पर चर्चा। इस बातचीत में अरुंधति ने कश्मीर के हालात पर… छत्तीसगढ़ में चल रहे नरसंहार पर… नंदीग्राम और सिंगूर की हिंसा पर… और भारत में चल रहे ब्रितानिया हुकूमत के औपनिवेशिक मॉडल पर खुल कर बात की। आप भी अरुंधति से हुए इस सवाल-जवाब को पढ़िये और अपनी राय रखिए।
—————————
जितेंद्र – अक्सर कहा जाता है कि मीडिया फोर्थ स्टेट (चौथा स्तंभ) है … क्या सच में ये फोर्थ स्टेट है?
अरुंधति – मुझे लगता है कि शायद ये फर्स्ट स्टेट है। इनका जो रोल है वो बहुत बढ़ गया है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के तौर पर नहीं बल्कि स्टेटस्को (यथास्थितिवाद) बनाए रखने में बहुत बढ़ गया है। अभी आप देखो कि ये टीवी पर जो यंग पीपुल हैं, वही माहौल बना रहे हैं। कॉरपोरेट के खिलाड़ी हों, या डिफेंस के अफ़सर हों, नेता हों या फिर कोई और …. वो सबको बीच में रोक कर पूछते हैं कि सर क्या भारत को पाकिस्तान से रिश्ते तोड़ लेने चाहिये? क्या भारत को पाकिस्तान पर हमला बोल देना चाहिये? … ये आखिर क्या है? ये बहुत डरावना है। ....
((READ MORE)