Saturday, June 27, 2009

“एसपी को खरीदने की हैसियत किसी में नहीं थी”

दिल्ली के प्रेस क्लब में आज एसपी सिंह को याद किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में पत्रकार जुटे। कुछ उनके दोस्त। कुछ उनके साथ काम कर चुके पत्रकार जो आज अहम ओहदों पर हैं। कुछ युवा पत्रकार जो इस पेशे में चंद कदम ही चले हैं। कुछ ऐसे भी जिन्हें अभी पहला कदम रखना है। सबने एसपी सिंह के बहाने पत्रकारिता के मौजूदा माहौल पर चर्चा की।
आईबीएन-7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष ने कहा कि एसपी ने हिंदी पत्रकारिता को एक कुंठा से बाहर निकाला और उसे पेशेवर बनाया। उन्होंने बताया कि एसपी के दौर से पहले हिंदी का पत्रकार कुंठा में जी रहा था। वो अंग्रेजी के पत्रकारों को अपने से ऊपर मानता था। शायद इसलिए क्योंकि सत्ता के गलियारे में उनकी सुनी जाती थी। हिंदी के पत्रकारों की नहीं। लेकिन एसपी ने अपने तरीके से हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारों के बीच खिंची दीवार गिरा दी। “आज तक” के जरिए साबित किया कि हिंदी के पत्रकार किसी से कम नहीं हैं और उनकी आवाज़ को कोई अनसुनी नहीं कर सकता। आशुतोष ने ये भी कहा कि एसपी ने हिंदी पत्रकारिता को.... ((READ MORE))