Thursday, June 11, 2009

“बहुत महंगी है अभिव्यक्ति की आज़ादी”

अरुंधति रॉय से ख़ास बातचीत....

अभिव्यक्ति की आज़ादी क्या है? क्या भारत में आप और हम बोलने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं? क्या लोकतंत्र का चौथा स्तंभ - मीडिया पूरी तरह आज़ाद है? ये कुछ मुद्दे हैं जिन पर, वर्तमान दौर में चर्चा बेहद अहम हो गई है। लोकसभा चुनाव में सबने देखा कि किस तरह मीडिया ने लेन-देन का खेल किया। किस तरह ख़बरें दबाई गईं, मैनुपुलेट की गईं। जिन उम्मीदवारों के पास पैसा नहीं था वो चीखते रहे, चिल्लाते रहे, अपनी बात कहते रहे लेकिन उन्हें किसी अख़बार ने नहीं छापा। देश और दुनिया में ऐसी कई घटनाएं हो रही हैं जिसे कोई अख़बार नहीं छापता है। कोई टीवी न्यूज़ चैनल नहीं दिखाता है। आखिर क्यों? इन सब मुद्दों पर जनतंत्र डॉट कॉम के लिए जितेंद्र और समरेंद्र ने अरुंधति रॉय से बात की। बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधति उन चंद साहसी लोगों में एक हैं जो सच कहने से नहीं डरते। सच चाहे अमेरिका के ख़िलाफ़ हो, चाहे कंपनियों के ख़िलाफ़ या फिर चाहे भारत सरकार के ख़िलाफ़।

((READ MORE))