Wednesday, May 6, 2009

आज़ादी या मुनाफा?

ताइवान सरकार ने अपने देश में प्रेस की आज़ादी में गिरावट पर चिंता जताई है। उसने वादा किया है कि वो हालात सुधारने की पूरी कोशिश करेगी। ताइवान सरकार के सूचना मंत्री ने ये बात अंतरराष्ट्रीय संस्था फ्रीडम हाउस की ताज़ा रिपोर्ट सामने आने के बाद कही है। दुनिया भर में प्रेस की आज़ादी का हाल बताने वाली इस रिपोर्ट की जानकारी हम आपको पहले भी दे चुके हैं। लेकिन आज हम दोबारा इस रिपोर्ट का ज़िक्र इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि ताइवान के सूचना मंत्री का बयान आया है। ये खबर हम आप तक इसलिए पहुंचा रहे हैं ताकि आप भी हमारी तरह खुद से ये सवाल करें कि आखिर हमारे यहां ऐसा क्यों नहीं होता? प्रेस की आज़ादी में कटौती की जैसी परवाह ताइवान में दिखाई देती है, वैसी हमारे यहां क्यों नहीं है? जबकि हमारे यहां मीडिया की आज़ादी का हाल ताइवान से कहीं बुरा है।

फ्रीडम हाउस की ताज़ा रिपोर्ट ने ताइवान को दुनिया के 195 मुल्कों में 43वें नंबर पर रखा है। जबकि इसी रिपोर्ट में हमारा नंबर 76वां है। ताइवान पिछली बार की तरह ही उन देशों में शामिल है, जहां प्रेस तुलनात्मक रूप से आज़ाद है। जबकि भारत को उन देशों की सूची में जगह मिली है, जहां प्रेस आंशिक तौर पर ही आज़ाद कहा जा सकता है। हमसे बेहतर स्थिति में होते हुए भी ताइवान परेशान है, क्योंकि वो 2008 की इसी रिपोर्ट में 32वें नंबर पर था। ताइवान को इस साल 11 पायदान नीचे खिसककर 43वें नंबर पर आना अखर रहा है। लेकिन हम 76वें नंबर पर रहकर भी बेपरवाह हैं। ....

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