दुनिया के सबसे अमीर कारोबारियों में से एक वॉरेन बफेट ने कहा है कि अब वो न्यूज़पेपर इंडस्ट्री में एक पैसा भी नहीं लगाएंगे। उनके मुताबिक अमेरिका में अब अख़बारों का भविष्य अच्छा नहीं है। ऐसे में इसमें पैसा लगाना समझदारी नहीं। बर्कशायर हैथवे शेयरहोल्डर्स की बैठक में बफेट ने ये बात कही। बफेट इस कंपनी के सबसे बड़े शेयरहोल्डर और सीईओ हैं।
वॉरेन बफेट का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि भविष्य में अख़बारों का घाटा कम होने की बजाय लगातार बढ़ता जाए। इसलिए उनकी कंपनी किसी भी अख़बार को खरीदने का इरादा नहीं रखती है। बफेट का ये भी मानना है कि एक समय था जब अख़बार हर किसी के लिए जरूरी थे। वो समय अब ख़त्म हो चुका है। आज के आधुनिक युग में इंटरनेट ने अख़बारों की जगह हासिल कर ली है। यही वजह है कि अख़बारों को मिलने वाले विज्ञापन कम हो रहे हैं, जबकि इंटरनेट पर विज्ञापन बढ़ रहे हैं। बफेट ने अपना करियर अख़बार बांटने से शुरू किया था। बाद में वो दुनिया के सबसे बड़े निवेशक बने। उन्होंने 1970 में बफेलो न्यूज़ को खरीदा था और आज भी उसके मालिक हैं। इसके अलावा वॉशिंगटन पोस्ट में भी उनकी बड़ी हिस्सेदारी है। वॉशिंगटन पोस्ट इस साल घाटे में चला गया है। पहली तिमाही के नतीजों के मुताबिक अख़बार को करीब 2 करोड़ डॉलर (लगभग 100 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। एक साल के भीतर ये दूसरी बार है जब अख़बार घाटे में है।
यही नहीं अमेरिकी सर्कुलेशन ऑडिट ब्यूरो के मुताबिक वहां के 25 सबसे बड़े अख़बारों में सिर्फ एक को छोड़ कर सबका सर्कुलेशन बड़े पैमाने पर घटा है। इस सूची में सबसे ऊपर है द न्यूयॉर्क पोस्ट। उसके 20.6 फीसदी पाठकों ने साथ छोड़ दिया है। अगर सबसे अधिक बिकने वाले अख़बारों की बात करें तो यूएसए टुडे के पाठकों की संख्या में 7.5 फ़ीसदी कमी आई है। इसके उलट न्यूजपेपर वेबसाइट इस्तेमाल करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक सर्वे के मुताबिक इस साल शुरुआती तीन महीनों में न्यूजपेपर वेबसाइट पढ़ने वालों की संख्या 10.5 फीसदी बढ़ी है।
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