सुप्रीम कोर्ट ने आज मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ बिनायक सेन को ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू और दीपक वर्मा की खंडपीठ ने अपने फ़ैसले में कहा कि डॉ सेन को निजी मुचलके के आधार पर स्थानीय अदालत से ज़मानत दे दी जाए।
डॉ बिनायक सेन 14 मई 2007 से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद अब कल यानी मंगलवार तक बिनायक सेन को रिहा किए जाने की उम्मीद की जा रही है।
छत्तीसगढ़ पुलिस उन पर माओवादियों से रिश्ते रखने और जेल में बंद नक्सलवादी नेता नारायण सान्याल के लिए संदेशवाहक का काम करने का आरोप लगाती रही है। लेकिन भारत ही नहीं, दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ सेन पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए उनकी गिरफ्तारी का कड़ा विरोध करते रहे हैं। डॉ सेन के समर्थकों का कहना है कि वे एक ऊंचे दर्जे के बाल-चिकित्सक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जिन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया है। यहां तक कि दुनिया के 22 नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने भी डॉ बिनायक सेन को रिहा करने की अपील की थी। इन कोशिशों का तो छत्तीसगढ़ सरकार पर ....... ((READ MORE))....