ये पब्लिक है सब जानती है। बात सही है। पब्लिक की लाठी में आवाज़ नहीं है, मगर चोट बड़ी तगड़ी है। एक साथ कई धुरंधर साफ हो गए। कई एजेंटों का डब्बा गोल हो गया। अब न मोल तोल। न जोड़ तोड़। जनता ने सीधे-सीधे कह दिया है कि वोट उसी को जो शांति बनाए रखे और विकास को तरजीह दे। बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, आंध्र प्रदेश सब जगह कुछ यही आदेश मिला है। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां भी। जहां भारतीय जनता पार्टी या फिर क्षेत्रीय दलों की सरकार है वहां भी। जनता बस यही कह रही है कि हमें चैन से जीने दो। सड़क दो, रोजगार दो, शिक्षा दो, स्वास्थ दो। नफ़रत, हिंसा और अपराध नहीं।
शुरुआत बिहार से करते हैं। वहां जाति की राजनीति होती है। इस बार भी हुई है। लेकिन नतीजों से सकारात्मक बदलाव के संकेत भी मिले हैं। पहली बात, वहां लोगों ने लंबे समय बाद जाति से ऊपर उठ कर मतदान किया है। लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान को ब्लैकमेलिंग का मौका नहीं दिया (ब्लैकमेलिंग का मौका अमर सिंह, अजित सिंह, ओमप्रकाश चौटाला, देवेगौड़ा, चंद्रशेखर राव जैसों को भी नहीं मिला है। एक साथ सबकी दुकान बंद हो गई है।) दूसरी बात, कुछ मुस्लिम वोट भी विकास के नाम पर ....... (READ MORE)