इस चुनाव में एक खास बात रही। मतदान को लेकर नेताओं और सियासी दलों से कहीं ज्यादा उत्साह मीडिया में नज़र आया। सभी चैनलों पर और अख़बारों में दिग्गज पत्रकार देश की जनता से वोट डालने की अपील करते नज़र आए। वोटरों को रिझाने के लिए हर तरकीब आजमाते दिखे। निजी कंपनियों के साथ मिल कर कुछ मीडिया संस्थानों ने वोटरों को ललकारा तो कुछ ने वोट ना देने का फैसला करने वालों का मजाक भी उड़ाया। ऐसा लग रहा था जैसे चुनाव आयोग ने इस बार मीडिया को अपना एजेंट नियुक्त कर लिया हो। सवाल उठता है कि क्या मतदान कराना मीडिया की जिम्मेदारी है? और क्या वोट नहीं देने वालों को मूर्ख (पप्पू) बताना मीडिया का हक़ है? .......................... ((READ MORE))