Saturday, May 16, 2009

पत्रकारों ने ली राहत की सांस

जनता के फैसले से पत्रकारों ने भी राहत की सांस ली है। बीते दो महीने उनके लिए काफी मुश्किल भरे रहे हैं। चुनाव और आईपीएल के कारण उन्हें दिन रात मेहनत करनी पड़ी।
पहले तो इन्हें “बहुमत” समझाइये
हिंदी चैनलों में अच्छे ऐंकरों की भारी किल्लत है। किसी भी चैनल के पास ऐसे ऐंकरों की संख्या बहुत कम है जो संवेदनशील मौकों पर हालात संभाल सकें। यही वजह है कि जब तक चकल्लस होती रहे तब तक तो ठीक है। लेकिन जब भी चुनाव जैसे मौके आते हैं चैनलों की पोल खुल जाती है। अब आज (शनिवार, 16 मई) की ही बात लीजिये। देश के नंबर वन चैनल की दो ऐंकरों ने कई बार कहा कि यूपीए को भारी बहुमत मिल गया है। अरे भई, कोई उन्हें बहुमत का मतलब तो समझाए।
कुछ पत्रकारों को बीते एक महीने में एक भी छुट्टी नहीं मिली। तुलनात्मक लिहाज से देखें तो अख़बारों के रिपोर्टरों को तो थोड़ा वक़्त मिल जाता था, लेकिन टीवी के पत्रकारों का हाल बुरा था। सुबह-सुबह 7 बजे से ओबी वैन के सामने माइक थामे खड़े रहने की मजबूरी और देर रात तक सियासी हलचल को कैमरे में कैद करने की जिम्मेदारी। रिपोर्टर तो रिपोर्टर डेस्क पर तैनात लोगों की जान भी सांसत में थी। लेकिन जनता के फ़ैसले के बाद सब राहत की सांस ले रहे हैं। उन्हें डर था कि फैसला उलझा हुआ मिला तो अगले एक-दो हफ्ते भी फुरसत नहीं मिलेगी। कुछ चैनलों में आधिकारिक तौर पर अगले दो हफ्तों तक छुट्टियां रद्द कर दी गईं थी। लेकिन अब वहां के कर्मचारियों को उम्मीद है कि ये फैसला वापस ले लिया जाएगा।..... ((READ MORE))