खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे – कहावत बहुत पुरानी है लेकिन राजनीति के मैदान में ये कहावत अक्सर बेहद सटीक बैठती है। आप चाहें, तो इसमें थोड़ा-फेरबदल करके कह सकते हैं – खिसियाया नेता, मीडिया पर भड़के। आज इस कहावत को चरितार्थ करने का काम किया है रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने। वाकया कुछ इस तरह है – लालू पटना साहिब संसदीय सीट के लिए मतदान करने अपने परिवार के साथ पटना वेटनरी कॉलेज के मतदान केंद्र पहुंचे। वो वोटिंग करने पोलिंग बूथ के अंदर घुसे तो कुछ मीडियाकर्मी भी कैमरा लेकर अंदर चले गए। इस पर लालू ने न सिर्फ आपा खो दिया, बल्कि एक कैमरामैन को अपने हाथों से धकेल कर बाहर कर दिया। लालू को इतने से ही संतोष नहीं हुआ, तो बाहर आकर भी पत्रकारों को जमकर खरी-खोटी सुनाई।
पिछले कुछ दिनों से लालू लगातार मीडिया से नाराज चल रहे हैं। उनको शिकायत है कि मीडिया उनके खिलाफ साजिश कर रहा है। हम ये नहीं कहते कि मीडिया पक्षपात नहीं करता। लेकिन बरसों से मीडिया के चहेते नेता रहे लालू के मुंह से ये आरोप सुनना कुछ अज़ीब ज़रूर लगता है।
लालू आज जिस कैमरे को देखकर भड़क रहे हैं, वो बरसों तक उनका मुरीद रहा है। न्यूज़ चैनलों के इन्हीं कैमरों की बदौलत वो पिछले कई बरसों के दौरान टीवी पर सबसे ज़्यादा दिखाई देने वाले नेताओं में शामिल रहे हैं। भारतीय रेल की कायापलट करने वाले जादूगर से लेकर नये मैनेजमेंट गुरु तक जाने कितने ही ख़िताब मीडिया उन्हें देता रहा है। लेकिन सब दिन एक समान नहीं होते। जिन दिनों लालू आत्मविश्वास से भरे नज़र आते थे, तब वो मीडिया की आलोचनाओं को भी हंसी-हंसी में उड़ा देते थे और अक्सर अपनी हाज़िरजवाबी के लिए वाहवाही भी लूट लेते थे। लेकिन लगता है बिहार की राजनीतिक ज़मीन पर शिकस्त की आशंका ने उन्हें अंदर से हिला कर रख दिया है। तभी वो उस कैमरे को देखकर बौखलाने लगे हैं, जो कामयाबी भरे दिनों में उनका चहेता साथी रहा है।
कैमरे पर निकलती इस खीझ के पीछे का असली दर्द शायद कुछ और है। लालू को ये बर्दाश्त नहीं हो रहा कि मीडिया अब उन्हें नहीं, बल्कि नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति की धुरी मानने लगा है। लालू को समझना चाहिए कि उन्हें बिहार की राजनीति के केंद्र से मीडिया ने नहीं, खुद बिहार की जनता ने किनारे किया है। वैसे इन दिनों लालू की बौखलाहट कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है, तो शायद इसलिए भी कि उनकी पुरानी दोस्त कांग्रेस भी अब उनकी नहीं नीतीश कुमार की तारीफ कर रही है। नीतीश की तारीफ में राहुल गांधी का ताज़ा बयान शायद उनके ज़ख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है। और बदलते हालात से उपजा यही गुस्सा वो मीडिया पर निकाल रहे हैं।
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